लखनऊ। आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार अपने चरम सीमा को पार कर गया है। मिली जानकारी के मुताबिक वर्षों से अटकी ग्रेडेशन लिस्ट बनाने के लिए शासन से आदेश आया तो इसकी जिम्मेदारी उन्ही दागी आबकारी निरीक्षकों को सौंप दी गई है जिनकी वजह से विभागीय पदोन्नति में अपात्र लोगों का चयन हो गया और पात्र लोगों की अनदेखी हो गई। आबकारी निरीक्षक अशोक कुमार को सहायक आबकारी आयुक्त के रूप में पदोन्नति देने में जिस बदनाम आबकारी निरीक्षक प्रसेन राय का नाम चर्चा में रहा उसी को आबकारी निरीक्षकों की ग्रेडिंग लिस्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। इतना ही नहीं कानपुर में अपनी पोस्टिंग के दौरान अवैध शराब के भंडारण वितरण और उत्पादन के अभियोग में निलंबित रहे निरंकार पांडे को भी ऐसी ही जिम्मेदारी दी गई है। मिली जानकारी के मुताबिक ग्रेडेशन लिस्ट तैयार करने से पहले सभी आबकारी निरीक्षकों से कम से कम 2 से ₹5लाख तक की वसूली का अभियान भी शुरू कर दिया गया है। यह वसूली आबकारी आयुक्त अपर आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव के नाम पर भी होने की चर्चा है।
हिमांशु वर्मा ने दबा रखा है प्रसेन रॉय का स्पष्टीकरण संबंधी पत्र
यह भी जानकारी मिली है कि शासन में एक प्रोन्नति की फाइल पर प्रसेन रॉय से गलत तरीके से हुए पदोन्नति के मामले में स्पष्टीकरण मांगा था जिसको पटल सहायक हिमांशु वर्मा ने दबा रखा है। यह पत्र जानबूझकर आरोपी प्रसेन राय को नहीं रिसीव कराया गया जिसकी वजह से कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
कार्मिक में तैनात आबकारी निरीक्षक निरंकार पांडे पर भी है गंभीर आरोप
आबकारी मुख्यालय के कार्मिक में तैनात निरंकार पांडे पर भी बेहद गंभीर आरोप है। पता चला है कि शासन ने एक पूर्व संयुक्त आबकारी आयुक्त से संबंधित मुख्यालय से एक आख्या मांगी थी जिसको निरंकार पांडे ने कई लाख रूपए लेकर दबा दिया और आज तक यह आख्या शासन तक पहुंची ही नहीं। इसी तरह डिप्टी करने के राजेंद्र कुमार और प्रसेन राय से संबंधित आख्या को भी यहां दबा लिया गया इसके बदले तगड़ी वसूली की गई है।
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