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रूस ने भी दिया भारत को झटका:

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर भारत को एक और बड़ी असफलता हाथ लगी है। सदियों पुराने दोस्त रूस में भी भारत को झटका दिया है और वह पाकिस्तान के साथ मिलकर कई बड़ी विकास परियोजनाओं को गति देने पर सहमत हो गया है। रूस ने भारत को ऐसे समय में झटका दिया है जब भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रतिनिधि भेज कर पाकिस्तान के आतंकवादी रवैया पर दुनिया को ब्रीफ कर रहा है।

मीडिया खबरों के मुताबिक रूस 2015 से बंद सोवियत संघ के सबसे बड़े स्टील प्लांट को फिर से चालू करने को लेकर पाकिस्तान से एक एग्रीमेंट साइन कर चुका है जबकि पाकिस्तान तक गैस पाइपलाइन बिछाने  तथा सस्ता पेट्रोलियम उपलब्ध कराने पर भी एक समझौता हुआ। कुल मिलाकर रूस पाकिस्तान को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता देने पर सहमत हो गया है। भारत के सदियों पुराने मित्र की ओर से पाकिस्तान को मिल रही यह सहायता भारत के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रसिया ही एक ऐसा देश था जिस पर भारत आंख मूंद कर भरोसा करता था लेकिन वह भी दुश्मन खेमे में शामिल हो गया है।

ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत की विदेश नीति पूरी तरह दुश्मन के पक्ष में झुकी हुई दिखाई दे रही है। क्या चीन के जरिए पाकिस्तान रूस के करीब आया है। इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चा हो रही है। कहां जा रहा है कि यूक्रेन और रूस युद्ध के दौरान चीन ने रूस का खुलकर साथ दिया था और अब रूस चीन का एहसानमंद है और चीन के कहने पर ही रूस पाकिस्तान की मदद कर रहा है। यदि रस भी भारत के हाथ से निकल गया तो वास्तव में भारत अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेहद कमजोर हो जाएगा और वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान को भारत की घेराबंदी करने का मौका हाथ लग जाएगा।

भारत को लेकर रूस के रख में उस समय परिवर्तन देखने को मिला जब जंग के दौरान रूस ने भारत के पक्ष में खुलकर बयान नहीं दिया। ऐसा भी कहा जा रहा है कि रूस के साथ नहीं देने और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-अलग पड़ने के कारण ही भारत को युद्ध विराम के लिए राजी होना पड़ा। रूस के इस रवैया को लेकर इसलिए भी हैरानी हो रही है क्योंकि 1965 की युद्ध में जब चीन ने पाकिस्तान का साथ देने की कोशिश की तो रूस ने धमकी दी कि वह पाकिस्तान से जुड़ने वाली सीमा पर अटैक कर देगा और इसके बाद पाकिस्तान को बैक फुट पर आना पड़ा लेकिन आज वही रसिया भारत के साथ नहीं खड़ा हो रहा है बल्कि पाकिस्तान की बर्बाद अर्थव्यवस्था को संवारने की कोशिश कर रहा है इसे भारतीय विदेश नीति की घनघोर  विफलता के रूप में देखा जा रहा है।

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