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तो क्या प्रदीप दुबे के संरक्षण में बलिया से बनारस तक हो रही है शराब तस्करी:

स्टिंग ऑपरेशन में बड़ा खुलासा: कमिश्नर और आबकारी विभाग का खुफिया विंग सवालों के घेरे में:

लखनऊ। एक प्रमुख अखबार के स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ है कि बलिया से वाराणसी तक शराब तस्कर सक्रिय है और रात के अंधेरे में जल मार्ग से प्रतिमाह हजारों करोड रुपए की तस्करी कर रहे हैं। आबकारी विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को मोटा हिस्सा इस तस्करी से मिलता है जिसकी वजह से इन तस्करों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पुलिस और आबकारी विभाग के इस खेल से बिहार में शराब बंदी बेसर हो गई है। सूत्रों का कहना है कि डिप्टी एक्साइज कमिश्नर वाराणसी कार्यालय के दबाव के चलते खुफिया जानकारी होने के बावजूद प्रवर्तन टीम की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। स्टिंग ऑपरेशन में बलिया के पूर्व विधायक सुरेंद्र प्रताप सिंह और तीन अन्य शराब तस्करों का नाम सामने आया है। स्टिंग ऑपरेशन में तस्करों के पेडलर से यह जानकारी मिली है कि रात के अंधेरे में वाराणसी बलिया में  गंगा नदी के सुनसान घाटों से नाव के माध्यम से प्रतिदिन हजारों पेटी शराब बिहार की सीमा में प्रवेश कर दिया जाता है। पेडलर ने यह भी जानकारी दी है कि आबकारी विभाग और पुलिस महकमा दोनों को संतुष्ट करके ही यह तस्करी संभव हो पा रही है। डिप्टी एक्साइज कमिश्नर वाराणसी प्रदीप दुबे अवैध रूप से विभाग में जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक के पद पर लखनऊ में है और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर वाराणसी का कार्यालय लावारिस पड़ा हुआ है जिसका पूरा लाभ शराब तस्कर उठा रहे हैं। इस मामले में आबकारी आयुक्त की भी मौन स्वीकृति और सहमति लगती है।

स्टिंग ऑपरेशन में यह भी जानकारी मिली है कि इस खेल में आबकारी विभाग के गोदाम और दुकान भी शामिल है। बताया जा रहा है कि जिनके पास गोदाम और दुकान है वह अपना कोटा तस्करी के जरिए आसानी से खपा लेते हैं।

स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया गया है कि गंगा और घाघरा नदी जिसकी सीमाएं बिहार के बक्सर आरा जैसे जनपदों से मिलती है वहां पर आबकारी विभाग और पुलिस की मिली भगत से हजारों करोड़ों की शराब तस्करी हो रही है।

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