
पूर्व विशेष सचिव आबकारी दिव्य प्रकाश गिरी द्वारा कार्रवाई के लिए लिखा गया पत्र:

आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव अनिल कुमार द्वारा पुलिस महानिदेशक को टपरी की अवैध शराब की जांच के लिए लिखा गया पत्र

किस-किस जनपद में और कि गोदाम से बिकी टपरी की अवैध शराब:

लखनऊ/सहारनपुर – यह महज़ एक अवैध शराब फैक्ट्री का मामला नहीं है, बल्कि प्रदेश के प्रशासनिक इतिहास के सबसे बड़े अफसर–माफिया गठजोड़ का पर्दाफाश है। सहारनपुर स्थित टपरी कोऑपरेटिव डिस्टलरी से सैकड़ों करोड़ रुपये की अवैध शराब की निकासी, सरकारी राजस्व को चूना और दोषियों को सज़ा के बजाय प्रमोशन – ये सब कुछ हुआ शासन–प्रशासन की नाक के नीचे और कथित रूप से उनके संरक्षण में।
कैसे रचा गया घोटाले का खेल
जांच दस्तावेज़ बताते हैं कि तत्कालीन प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी ने जानबूझकर टपरी कोऑपरेटिव डिस्टलरी में सहायक आबकारी आयुक्त की तैनाती नहीं की। इस एक फैसले ने शराब माफियाओं के लिए दरवाज़ा खोल दिया। डेढ़ साल तक डिस्टलरी से शराब की अवैध निकासी हुई और यूपी के कई जिलों में करोड़ों की शराब बेची गई।
चौंकाने वाली बात: कोरोना लॉकडाउन के दौरान, जब देशभर में शराब की बिक्री बंद थी, उसी समय टपरी डिस्टलरी से अवैध शराब की बड़े पैमाने पर सप्लाई हुई।
जनपदवार मिलीभगत और लापरवाही
- बदायूं: लगभग 25 ट्रक शराब की अवैध बिक्री की चर्चा, लेकिन तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा और उनके इंस्पेक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई इनके विरुद्ध अभियोग पत्र दाखिल करने के बजाय इनको पहले लखनऊ का जिला आबकारी अधिकारी बनाया गया और बाद में प्रयागराज का जिला आबकारी अधिकारी बना दिया गया। पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी के कृपा पात्र रहे हैं जिसकी वजह से इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि इसी प्रकरण में डिप्टी और एक सहायक आपकारी आयुक्त को जेल की हवा खानी पड़ी है ।
- जौनपुर: जौनपुर जनपद में भी बड़े पैमाने पर टपरी की अवैध शराब आबकारी गोदाम के माध्यम से बेची गई थी। टपरी की शराब बिकते समय जिला आबकारी अधिकारी रहे घनश्याम मिश्र को दंडित करने के बजाय श्रावस्ती भेज दिया गया जबकि तत्कालीन डिप्टी एक्साइज कमिश्नर वाराणसी दिलीप मणि त्रिपाठी जिनके डिवीजन में करोड़ों रुपए की अवैध शराब बेची गई और विभाग को राजस्व की भारी क्षति हुई है उन्हें किसी प्रकार की कोई चार्ज शीट नहीं मिली और ना ही कोई कार्रवाई हुई बल्कि उन्हें बड़ा इनाम मिला वाराणसी से हटकर देवीपाटन मंडल का डिप्टी एक्साइज कमिश्नर बना दिया गया और जब एसआईटी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की तो विशेष जांच दल की सिफारिश का मजाक बनाते हुए इनको प्रोन्नत देकर जॉइंट एक्साइज कमिश्नर लखनऊ बना दिया गया और वर्तमान में यह जॉइंट एक्साइज कमिश्नर मेरठ के साथ-साथ लखनऊ का भी एडिशनल चार्ज अपने पास रखे हैं और इन्हीं पर जॉइंट एक्साइज कमिश्नर पूर्वी जोन ईआईबी का दायित्व दे दिया गया है ।
- उन्नाव: तत्कालीन डिप्टी एक्साइज कमिश्नर जैनेंद्र उपाध्याय को चार्जशीट देने के बजाय जॉइंट एक्साइज कमिश्नर आगरा बना दिया गया। बाद में लखनऊ के होटल लवाना को अवैध बार लाइसेंस देने के मामले में निलंबित हुए, लेकिन प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी के करीबी होने के कारण 6 माह में बहाल हो गए।
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SIT की संस्तुति भी बनी मज़ाक
जुलाई 2023 में वर्तमान प्रमुख सचिव वीना कुमारी मीणा ने SIT की संस्तुति के आधार पर कार्रवाई का आदेश दिया, लेकिन इन्हीं आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए दोषियों को पुरस्कृत कर दिया गया।
रिश्वतखोरी का बड़ा आरोप
शासन में जोरदार चर्चा है कि जैनेंद्र उपाध्याय की बहाली के लिए उन्होंने तत्कालीन प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी को लखनऊ के वृंदावन योजना स्थित मेल रोज़ अपार्टमेंट में करोड़ों का 3BHK फ्लैट गिफ्ट किया। यही नहीं, आज भी रेड्डी इसी फ्लैट में निवासरत बताए जाते हैं। इस गंभीर आरोप की जांच की मांग लंबे समय से हो रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
क्यों है यह मामला निर्णायक
यह कांड साबित करता है कि जब शीर्ष अधिकारी ही माफियाओं के साथ खड़े हों, तो कानून का डर खत्म हो जाता है और सरकारी तंत्र माफिया का औज़ार बन जाता है। करोड़ों का राजस्व चोरी, कानून व्यवस्था की धज्जियां और शासन की आंखों के सामने खेला गया यह खेल, प्रदेश में प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब नजरें विभागीय मंत्री पर
जनता और पारदर्शी शासन व्यवस्था के पक्षधर अब यह देख रहे हैं कि विभागीय मंत्री इस पर कैसी कार्रवाई करते हैं। क्या यह मामला भी फाइलों में दब जाएगा या फिर पहली बार सत्ता–प्रशासन के गठजोड़ पर गाज गिरेगी?
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