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नजरिया: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीजेपी और सरकार बेचैन क्यों: सुप्रीम कोर्ट ने की भाजपा की नोटबंदी: खुल सकती है भाजपा के साहूकारों की पोल

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्य बेंच ने इलेक्टोरल बांड को अवैध मानते हुए इसके इस्तेमाल पर जैसे ही रोक लगाई पूरे देश में इसका स्वागत किया गया। समूचे विपक्ष ने इसका स्वागत किया लेकिन भारतीय जनता पार्टी की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। कहा तो यहां तक जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों बेचैन है। भाजपा और सरकार दो वजह से ज्यादा बेचैन है। पहली वजह चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी ईमानदार छवि जिसको भाजपा के लोग घर-घर भुना लिया करते थे वह छवि इस समय संकट में है। यह ऐसा मुद्दा है जिस पर चुप रहने से भी प्रधानमंत्री की छवि खराब होगी और बोलने के लिए भी उनके पास कुछ नहीं है। उनकी बेबसी का फायदा अभी तक मुद्दों की तलाश में भटक रहे इंडिया डाल समूह को मिलना तय है। इलेक्टोरल बांड का मुद्दा विपक्ष आम चुनाव में प्रमुखता से उठा सकता है।

अडानी अंबानी समेत कई उद्योगपतियों की खुल सकती है पोल:

यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले इलेक्टोरल बांड खरीदने वाले उद्योगपतियों का विवरण वेबसाइट पर प्रकाशित किया तो राहुल गांधी और विपक्ष के आरोपों की पुष्टि हो जाएगी। यदि भाजपा या सरकार के दबाव में चुनाव आयोग या स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने इलेक्टोरल बांड को सार्वजनिक करने से इनकार किया तो इससे सरकार की फजीहत होना तय है। विपक्ष के आरोपी को जनता गंभीरता से लेना शुरू कर सकती है और ऐसे में चुनाव में भाजपा की मुश्किलों में भारी इजाफा होना तय है।

भाजपा के चुनाव अभियान के लिए घातक हो सकता है इलेक्टोरल बांड का मुद्दा

इलेक्टोरल बांड का मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला है या तो भारतीय जनता पार्टी उसे सर झुका कर स्वीकार करेगी अन्यथा विरोध करने की दशा में जनता उसे शक की निगाहों से देखना शुरू कर देगी। भाजपा की कोशिश होगी कि चुनाव तक इलेक्टोरल बांड के संबंध में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया और चुनाव आयोग सुस्त बना रहे जिससे कि चुनाव से ठीक पहले उसे परेशान करने वाले सवालों का सामना न करना पड़े हालांकि विपक्ष को सत्ता पक्ष को गर्ने के लिए भ्रष्टाचार का सबसे मजबूत मुद्दा मिल गया है यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर भाजपा जवाब देने की स्थिति में नहीं है क्योंकि विपक्ष की ओर से पहले भी या मांग हुई है की इलेक्टोरल बांड के जारी जो चुनाव में फंडिंग हुई है उसको सार्वजनिक किया जाए यह मांग चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट से भी किया जा चुका है इसलिए भाजपा इस मामले में बैक फुट पर है क्योंकि भाजपा और केंद्र सरकार ने ही लगातार इलेक्टोरल बांड के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में वकालत की।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भाजपा के प्रति बदल सकता है उद्योगपतियों का रवैया

भारतीय जनता पार्टी को अभी तक उद्योगपतियों का लाडला माना जाता रहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनका रवैया बदल सकता है। रवैया बदलने के पीछे जो हम कारण है वह यह है कि उनके द्वारा भारतीय जनता पार्टी को इलेक्टोरल बांड के रूप में जो भी भुगतान किया गया है कोर्ट इसका संज्ञान ले सकती है। लेनदेन संदिग्ध होने की दशा में गहन जांच का आदेश दे सकती है ऐसी दशा में जब सुप्रीम कोर्ट के पास पर्याप्त साक्ष्य होगा कोई भी जांच एजेंसी एक तरफ तरीके से किसी को भी क्लीन चिट नहीं दे पाएगी।

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