प्रयागराज। आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी की मौजूदगी में 31 जुलाई को रिटायर हुए कई अधिकारियों का विदाई समारोह विभाग के एक लाइसेंसी के होटल में आयोजित किया गया।
मिली जानकारी के मुताबिक प्रयागराज के मुक्तानंद बैंक्विट हॉल जोकि एक मॉडल शॉप चलाने वाले लाइसेंसी का है इसी होटल में आबकारी अधिकारियों का विदाई समारोह रखा गया। खाने-पीने का तगड़ा इंतजाम हुआ। कार्यक्रम में आबकारी आयुक्त के आने के बाद तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि क्या किसी लाइसेंसी के होटल में आबकारी आयुक्त की मौजूदगी में इस तरह के आयोजन की मंजूरी दी जानी चाहिए। क्या यह अधिकारियों के लिए निर्धारित प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं है।
बाबू ने आबकारी आयुक्त पर कसा तंज:
कहा जा रहा है कि एक बाबू जिसका रिटायरमेंट हुआ उसने मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद आबकारी आयुक्त पर तंज कसते हुए कहा कि एक तरफ तो आप हमारे मंगल में भविष्य की कामना कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर मुझे अनावश्यक रूप से दंडित कर मेरा रिटायरमेंट दुखद बना दिए। बाबू से ऐसा कहने पर माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया। हालांकि बाद में मामला संभल गया।
आबकारी आयुक्त ने सभाजीत वर्मा से कहा मैंने दो बार तुम्हारी नौकरी बचाई
तकनीकी अधिकारी सभा जीत वर्मा की नौकरी दो बार खतरे में पड़ी और आबकारी आयुक्त ने उनकी नौकरी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका खुलासा खुद आबकारी आयुक्त ने किया। विदाई समारोह को संबोधित करते हुए अचानक आबकारी आयुक्त ने सभाजीत वर्मा की ओर मुखातिब हुए और कहा कि 2 बार तुम्हारी नौकरी हमने बचाई। डू यू नो इसके बाद सन्नाटा पसर गया।
बता दें कि आबकारी आयुक्त पर पहले भी तकनीकी अधिकारी सभाजीत वर्मा का पक्ष लेने का आरोप लगता रहा है। आबकारी आयुक्त ने आय से अधिक संपत्ति की जांच के मामले में सभाजीत वर्मा का पक्ष लेते हुए जॉइंट बनारस गिरीश चंद्र मिश्रा पर दबाव बनाकर आरोपी सभाजीत वर्मा को क्लीन चिट दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। इतना ही नहीं डिजिटल अल्कोहल मीटर खरीद मामले में भी आबकारी आयुक्त ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आरोपी सभाजीत वर्मा को किसी भी जात से बचाने में अहम भूमिका निभाई
एडीशनल कमिश्नर ने बनाई विदाई समारोह से दूरी: चर्चाओं का बाजार गर्म
प्रयागराज में आयोजित इस कार्यक्रम में एडीशनल कमिश्नर सत्य प्रकाश उपस्थित नही रहे जिसको लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि एडिशनल कमिश्नर और कमिश्नर के बीच कुछ मामले को लेकर तल्ख़ियां हैं। कमिश्नर द्वारा एडिशनल कमिश्नर से कुछ मनचाही रिपोर्ट नहीं मिलने से नाराजगी बढ़ गई है। फिलहाल एडिशनल कमिश्नर की अनुपस्थिति मुख्यालय में चल रही खींचतान को उजागर करने के लिए पर्याप्त है।
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