प्रतापगढ़। जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। स्वच्छ भारत मिशन और रखरखाव के मदमे जमकर बंदरबांट किया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक सॉलि़ड एंड वाटर वेस्ट मैनेजमेंट योजना में जारी की गई धनराशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस योजना के तहत चयनित गांव में घरों की नाली से लेकर टैंक तक वाटर वेस्ट निस्तारित किया जाना था इसके साथ साथ गांव में सूखे कचरे और गीले कचरे के लिए अलग-अलग बकेट खरीदना था लोगों के दरवाजे पर लगाना था सूखे कचरे को उठाने के लिए ई वाहन की खरीद करना था लेकिन पूरे जनपद में या कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। पता चला है कि जनपद के 80 गांव इस योजना के तहत चयनित हुए थे और उसमें यह कार्य होना था प्रत्येक गांव में इस योजना के तहत लाखों रुपए खर्च होना था।
स्वच्छ भारत मिशन की जागरूकता प्रचार प्रसार योजना में करोड़ों का घपला:
यह भी जानकारी मिली है कि कोविड-19 संक्रमण के दौरान जनपद में स्वच्छता सीट खरीद में भी घपला हुआ था और आरोप वर्तमान जिला पंचायत राज अधिकारी पर लगा था। मामले की जांच ठंडे बस्ते में है। शासन के निर्देश के अनुसार स्वच्छ भारत मिशन योजना में केंद्रीय वित्त से शौचालय निर्माण के लिए जितनी धनराशि जारी की गई उसका 5% जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार के मद में खर्च करना था। इस योजना में बंदरबांट का आलम या है कि पिछले 3 वर्षों से जागरूकता एवं प्रचार प्रसार मद की धनराशि बंदरबांट हो रही है।
कागज पर ही बने हैं अधिकांश घूर गड्ढा
एक तरफ जहां अभी तक जनपद में बहुत से शौचालय अपूर्ण हैं वही करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ज्यादातर घूर गड्ढा कहीं नजर नहीं आ रहा है।
एक ही शौचालय की कई बार जियो टैगिंग
इस बात की भी चर्चा हो रही है कि शौचालय की धनराशि हड़प लेने के लिए शासन और केंद्र स्तर पर फर्जी सूचनाएं भेजी जा रही है। यह भी जानकारी मिली है कि एक ही शौचालय की फोटो को अलग-अलग नामों से कई बार लोड किया गया है।
करोड़ों रुपए के घोटाले में फंसे हैं बागपत के जिलाधिकारी
प्रतापगढ़ जनपद में स्वच्छ भारत मिशन योजना में नियमों को ताक पर रखकर ऐसी फर्मों को ठेका दिया गया जो पूर्व मुख्य विकास अधिकारी और वर्तमान में बागपत के जिलाधिकारी राजकमल यादव की करीबी रहे हैं।
अपने चहेतों को ठेका दिलाने के लिए पूर्व मुख्य विकास अधिकारी राजकमल यादव ने जानबूझकर स्वच्छ भारत मिशन के विभिन्न विभिन्न ठेकों के लिए सॉल्वेंसी की वैल्यू ₹30 करोड़ रुपए न्यूनतम कर दी जिसकी वजह से तमाम फर्मों को टेंडर में पार्टिसिपेट करना असंभव हो गया कहा जा रहा है कि सभी टेंडर में जानबूझकर वही योग्यता शर्ते रखी गई जो पूर्व मुख्य विकास अधिकारी की चहेती फर्मों के पास थी। लगभग ₹18 करोड़ रुपए के इस भ्रष्टाचार की जांच आर्थिक अपराध शाखा द्वारा कराया जा रहा है।
पंचायत गेटवे से हटकर हुए भुगतान, जांच हुआ तो सामने आ सकता है करोड़ों का खेल
राज्य और केंद्रीय वित्त की धनराशि के भुगतान में अनियमितता रोकने के लिए सभी पंचायतों में स्थापित कंप्यूटर में गेटवे एप इंस्टॉल किया गया। गेटवे एप को इंस्टॉल करने का उद्देश्य भुगतान के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए किया गया था लेकिन कहां जा रहा है कि जिले की कई पंचायतों में गेटवे से हटकर लाखों रुपए का भुगतान हुआ है और यह सब जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय की जानकारी में हुआ है।
महीनों से रुका हुआ है सफाई कर्मियों का भुगतान कहां जा रही है यह धनराशि:
जनपद में लगभग 800 से अधिक सामुदायिक शौचालय के रखरखाव की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूह को दी गई है। केयरटेकर के रूप में काम करने वाली महिलाओं को प्रतिमाह ₹6000 मानदेय और ₹3000 साफ सफाई के लिए जरूरी उपकरण की खरीद पर किया जाता है। जानकारी मिली है कि अधिकांश सफाई कर्मचारियों का 3 से 5 महीने का मानदेय नहीं मिला है जबकि यह धनराशि प्रतिमाह खर्च करनी थी। धनु राशि नहीं मिलने के कारण केयरटेकर महिला कर्मियों में भी भारी आक्रोश है।
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