लखनऊ। अखिलेश और मायावती के समय जिस वेब ग्रुप का दबदबा हुआ करता था वही दौर अब फिर लौट आया है। नई आबकारी नीति में प्रमुख सचिव संजय भूसरेड्डी ने शराब माफियाओं को उनके इलाके बांट दिए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के ज्यादातर इलाकों में वेब ग्रुप की शराब बिकेगी और इस इलाके में देसी विदेशी ब्रांड की कोई और शराब लाइसेंसी दुकानों पर नहीं मिल पाएगी । मेरठ के एक लाइसेंसी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उसने अन्य ब्रांड के लिए इंडेंट लगा रखा था लेकिन उसे बेब ग्रुप का ही शराब बेचने के लिए दबाव बनाया जाने लगा। विवश होकर उसे वेब ग्रुप किसी शराब बेचने पड़ रही है जबकि ग्राहक अपनी मनपसंद शराब नहीं ले पा रहे हैं।
एक अन्य जानकारी के मुताबिक झांसी और आसपास के जनपदों में सरदारी लाल ब्रांड विदेशी और विदेशी मदिरा बेची जा रही है यहां किसी अन्य ब्रांड की शराब मिलना मुश्किल है। मिली जानकारी के मुताबिक मध्य यूपी और आसपास रेडिको ग्रुप का दबदबा है यहां पर भी इसी ग्रुप की शराब के अलावा दूसरी ब्रांड की शराब मिलना मुश्किल है।
शराब की कीमत तय करेंगी डिस्टलरी:
नई आबकारी नीति के अनुसार शराब कंपनियां अपनी लागत और मुनाफे अब स्वयं तय करेंगे सरकार का इसमें किसी प्रकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। माना जा रहा है कि शराब माफियाओं का सिंडिकेट पूरे यूपी में जबरदस्त मुनाफा कमाने के लिए जल्द ही शराब के दाम में भारी बढ़ोतरी कर सकते हैं।
सफेद हाथी बना आबकारी विभाग
नई आबकारी नीति के अनुसार आबकारी विभाग पूरी तरह से शराब माफियाओं के सामने आत्मसमर्पण कर चुका है। इंस्पेक्टर जिला आबकारी अधिकारी उप आबकारी आयुक्त संयुक्त आबकारी आयुक्त और आयुक्त शराब कंपनियों के साकर बनकर रह जाएंगे अब किसी प्रकार से भी शराब कारोबारियों पर अंकुश नहीं लगा पाएंगे।
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