नई दिल्ली। नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही फैसला केंद्र सरकार के पक्ष में सुनाया हो लेकिन जस्टिस पी ली नाग रत्ना के फैसले की सर्वत्र चर्चा हो रही है।
जिस तरह से नोटबंदी की गई, उस पर जस्टिस बीवी नागरत्ना अलग रहे. उन्होंने कहा कि नोटबंदी कानून के माध्यम से होना चाहिए था. जस्टिस नागरत्ना ने कहा, विमुद्रीकरण (नोटबंदी)की शुरुआत कानून के विपरीत और गैरकानूनी शक्ति का इस्तेमाल था. इतना ही नहीं यह अधिनियम और अध्यादेश भी गैरकानूनी थे. इसके चलते भारत के लोगों को कठिनाई से गुजरना पड़ा. हालांकि, इसे ध्यान में रखते हुए कि ये फैसला 2016 में हुआ था, ऐसे में इसे बदला नहीं जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जनता में मिली-जुली राय है। कुछ लोगों ने इसे सरकार के नजरिए की जीत बताया जबकि कुछ लोगों ने जस्टिस बीवी नाग रत्न का पक्ष लिया।
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