प्रतापगढ़। स्वच्छ भारत मिशन प्रथम एवं द्वितीय चरण में प्रतापगढ़ में भेजी गई धनराशि बंदर बांट की शिकार हो गई है। एस रेल डब्ल्यूएम के तहत चयनित तमाम गांव की डाटा फीडिंग पंचायत सचिवालय के कंप्यूटर सिस्टम से ना होकर ब्लॉक पर कंप्यूटर ऑपरेटर से डाटा फीडिंग कराई जा रही है। इसको लेकर सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि यह फीडिंग सेक्रेटरी की मौजूदगी में पंचायत सचिवालय नहीं होना चाहिए। पता चला है कि बड़े पैमाने पर फर्जी बिल बाउचर लगाकर जिला पंचायत राज अधिकारी तथा एक विवादित एडीओ पंचायत की फर्म पर करोड़ों रुपए का भुगतान हो गया। यह भी पता चला है कि जिले के अधिकांश ग्राम पंचायतों में जो भी आपूर्ति हो रही है उसका 60% विवादित एडीओ पंचायत की फार्म से ही हो रहा है और इस फर्म में जिला पंचायत राज अधिकारी के नजदीकी लोग जुड़े हुए हैं।
जनपद के कई सचिव और ग्राम विकास अधिकारियों ने इस बात की शिकायत की है कि उनकी गैर जानकारी में ही डाटा फीडिंग हो गया और भुगतान भी हो गया। कुछ सचिव ने नाम न छापने की शर्त पर यह भी बताया उन्होंने डोंगल का इस्तेमाल नहीं किया फिर भी उनके डोंगल से डाटा फीडिंग वेरीफाइड हो गया और भुगतान भी हो गया। ग्राम पंचायत अधिकारी इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि आखिरकार उनकी गैर जानकारी में बजट और प्रोजेक्ट से संबंधित बिल बाउचर की डाटा फीडिंग और उसका वेरिफिकेशन हो रहा है। भविष्य में किसी प्रकार की अनियमितता या अराजकता उजागर होने पर उन्हें ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
इस मामले में जिला पंचायत राज अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
पंचायत सहायकों से नहीं लिया जा रहा काम निदेशक ने सभी डीपीआरओ को लिखा पत्र
इसी बीच पंचायती राज निदेशक पीके उपाध्याय ने सभी जनपदों के जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र लिखा है कि शासन को संज्ञान में लाया गया है कि अधिकांश पंचायत सचिवालय में कार्यरत पंचायत सहायकों का किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण नहीं कराया जा रहा और ना ही सिस्टम पर उन्हें काम दिया जा रहा है। इस मामले में जनपदों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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