प्रतापगढ़। मुख्य चिकित्सा अधिकारी गिरेन्द्र मोहन शुक्ला एक के बाद एक स्वास्थ्य योजनाओं में लूटपाट और हेरा फेरी के लिए चर्चा में है।
अभी डायग्नोस्टिक किट और रसायन करोड़ों की नियम विरुद्ध खरीद का मामला ठंडा भी नहीं हुआ है कि लगभग 28 लाख रुपए के नैपकिन खरीद में भी घपले की सूचना आ रही है।
कहा जा रहा है कि नियमों व शर्तो को दरकिनार कर स्वास्थ्य विभाग सेनेटरी नैपकिन खरीद का टेंडर निकाला और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के नजदीकी की एक दागी फर्म को यह काम मिल गया। अपने चहेते को काम दिलाने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता वाली क्रय समिति ने यह भी ध्यान नहीं दिया कि जिस नैपकिन की खरीद वह ₹4 पंचानवे पैसे में कर रहे हैं वही नैपकिन खुले बाजार में ₹3 से भी कम दाम पर स्टेफ्री जैसे ब्रांडेड नैपकिन आसानी से उपलब्ध है फिर ऐसे में इतनी महंगी नैपकिन खरीद का टेंडर करने की जरूरत क्या थी।
L1 धोधु इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड को मिला आपूर्ति का ठेका
7 लाख 96 हजार 9 सौ 43 सेनेटरी नैपकिन की सप्लाई के लिए धोधू इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड को ₹4 पंचानवे पैसे की दर से आपूर्ति का ठेका मिल गया जबकि आपूर्ति की जाने वाली नैपकिन से कहीं बेहतर क्वालिटी वाली मार्केट में उपलब्ध स्टेफ्री जैसी नैपकिन ₹3 या उससे भी कम में उपलब्ध है किंतु कमीशन खोरी के चक्कर में गिरेंद्र मोहन शुक्ला ने अपनी चहेती और दागी फार्म के साथ मिलकर सरकारी फंड की लूट की योजना बनाई।
पूरे देश में नैपकिन पर कोई टैक्स नहीं है लेकिन प्रतापगढ़ में नैपकिन खरीद पर दिया गया जीएसटी
लुटेरे मुख्य चिकित्सा अधिकारी का दुस्साहस तो देखिए कि नैपकिन खरीद पर राज्य और केंद्र सरकार की ओर से कोई टैक्स नहीं लगता लेकिन इस व्यक्ति ने जानबूझकर सरकारी खजाने को चूना लगाने के लिए अपनी चहेती फर्म को जीएसटी के तहत भुगतान का भी करार कर लिया।
सीएमएसडी स्टोर से जेम पोर्टल पर निकला गया था 28 जनवरी 23 को टेंडर।।
नैपकिन आपूर्ति के लिए कुल छह फर्मों ने टेंडर डाला था लेकिन
अनुभव हीन फर्मों L1 घोधू इन्फोटेक प्रा लिमिटेड दिल्ली, L2 न्यू सर्जिकल दिल्ली कंपनी, L3 वायमोर इंटरप्राइजेज दिल्ली को निविदा के लिए साजिश के तहत क्वालीफाई कराया गया
जो कुछ हुआ उससे मेरा कोई लेना देना नहीं: डीपीएम
नैपकिन घोटाले पर जब स्वास्थ्य विभाग के जिला कार्यक्रम प्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले से मेरा कोई लेना देना नहीं है। सब कुछ मुख्य चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता वाली क्रय समिति ने किया है। नियमों का पालन क्यों नहीं किया गया इसका जवाब केवल मुख्य चिकित्सा अधिकारी ही दे सकते हैं। जब हम से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा तो हम अपनी आख्या देंगे।
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