वाराणसी। खुदा /भगवान ऐसी औलादें किसी को न दे…औलादों के होते हुए अंतिम संस्कार कोई और करे
इबरत नाक वाक़या यूपी के बनारस का है.. मशहूर साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल काशी की एक हस्ती कहे जाते थे.. बच्चोँ को पढ़ा लिखा के काबिल बनाया.. एक बेटा बिजनेस मैन हो गया. बेटी सुप्रीम कोर्ट की वकील .दामाद भी वकील ही मिला . खंडेलवाल साहब खुद भी करोड़पति थे। उनकी लगभग 100 करोड़ की संपत्ति अपने नाम करने के बाद बेटे बेटियों ने उन्हें घर से धक्के देकर निकाल दिया । पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी थी। कई दिनों तक भूख प्यास से तड़पने के बाद एक एनजीओ की मदद से लगभग 1 साल से वृद्ध आश्रम में रह रहे थे । उनकी मृत्यु की सूचना के बावजूद उनके दो बेटे और एक बेटी इनमें से कोई भी अंतिम दर्शन या अंतिम संस्कार मैं शामिल उन्होंने को तैयार नहीं हुआ ।
श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपने जीवन में 400 किताबें लिखी,इज़्ज़त,शोहरत,दौलत यानी भगवान का दिया सब कुछ उन के पास था..बस कमी थी तो एक लाएक औलाद की…. साल भर पहले खंडेलवाल साहब के बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया.. कुछ करीबी लोग उन्हें वृद्ध आश्रम छोड़ आये.औलादों ने कभी पलट के पूछा भी नहीं .
आज उन की वृद्धा आश्रम में ही मौत हो गयी. पूरा बनारस उस वक़्त स्तब्ध रह गया जब उन के घर वालों को सूचना भेजी गयी और परिवार का कोई सदस्य अंतिम दर्शन या अंतिम संस्कार के लिये आगे नहीं आया… काफी इंतेज़ार के बाद जब परिवार का कोई नहीं आया तो स्थानीय अमन कबीर नाम के शख़्स ने उन के बेटे का फ़र्ज़ निभाया.. मुख़ अग्नि दी और अंतिम संस्कार किया…
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