प्रतापगढ़। लोकसभा चुनाव के बीच राजपूत मतदाताओं की नाराजगी की खबरें सामने आ रही है आरोप लगाया जा रहा है कि ठाकुर मतदाताओं का वोट तो भाजपा ले लेती है लेकिन जब पद और प्रतिष्ठा देने की बात आती है तो भाजपा के रवैया बदल जाता है। गुजरात में क्षत्रिय राजपूत की की नाराजगी और बगावत के बाद आप यह सवाल खड़ा हो गया है कि भाजपा पर जो आप लग रहा है वह कितना सही है और कितना गलत। लिए हम प्रतापगढ़ के परिप्रेक्ष्य में इसका विश्लेषण करें
20 करोड़ की प्रॉपर्टी दिया दान और बने मोहनगंज मंडल के अध्यक्ष
पूर्व सांसद अभय प्रताप सिंह के सुपुत्र राजा अनिल प्रताप सिंह ने भाजपा ज्वाइन करने के बाद से अब तक अपनी पैतृक विरासत से भारतीय जनता पार्टी को प्रतापगढ़ प्रयागराज और मिर्जापुर में लगभग 20 करोड़ की अचल संपत्ति दान की। उन्हें आश्वासन दिया गया कि उन्हें विधानसभा या लोकसभा का टिकट दिया जाएगा अन्यथा उन्हें एमएलसी बनाकर समायोजित किया जाएगा लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया उन्हें किसी प्रकार का ना तो टिकट दिया गया और ना ही महत्वपूर्ण पद पर समायोजित किया गया वर्तमान में वह भारतीय जनता पार्टी के मोहनगंज मंडल के अध्यक्ष बताई जा रहे हैं। जबकि इससे पहले कांग्रेस में वह विधानसभा का चुनाव लड़ चुके थे और महत्वपूर्ण नेताओं में गिनती हो रही थी।
राजकुमारी रत्ना सिंह दरकिनार
प्रतापगढ़ में राजकुमारी रत्ना सिंह तीन बार कांग्रेस पार्टी से सांसद रह चुकी है। राजा दिनेश सिंह की विरासत के चलते उनका कांग्रेस में बेहद सम्मान था और अधिक सम्मान पाने की लालसा में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर लिया लेकिन यहां उन्हें दरकिनार कर दिया गया। उनकी बदहाली का आलम यह रहा है कि उनकी बेटी सांगीपुर ब्लॉक के तीन नंबर वार्ड से चुनाव लड़ी थी और तीसरे नंबर पर रही। आज भी भाजपा के महत्वपूर्ण आयोजनों में उनकी कोई गिनती नहीं होती है।
राजा भदरी उदय सिंह क्यों हो गए नाराज
विश्व हिंदू परिषद के संस्थापक सदस्यों में से एक भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए अपनी करोड़ों रुपए की संपत्ति दान की और स्वयं भी महत्वपूर्ण सक्रिय भूमिका निभाई। डर हिंदुत्व विचारधारा के चलते भाजपा के समर्थक बने रहे हैं वह भी इस समय भाजपा से नाराज हैं । उन्होंने हाल ही में एक ट्वीट किया था जिसमें सुनो ने औरत लगाया था कि चुनाव आने पर ही भाजपा हिंदुओं की पार्टी बनती है बाकी समय वह तुष्टीकरण करती है। दरअसल उनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि कुंडा के शेखपुरा में प्रतिवर्ष मोहर्रम के जलूस के अवसर पर ताजिया निकालने की अनुभूति होती है लेकिन उनका वार्षिक का अनुष्ठान और भंडारा नहीं करने दिया जाता। उनकी नाराजगी इस बात के लिए है कि योगी सरकार के रहते हुए भी उन्हें नजर बंद कर दिया जाता है और प्रशासन तुष्टीकरण करता है। जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार में ताजिया जुलूस भंडारा और सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप से चल तारहा।
राजा भैया के साथ किया गया छल
अभी हाल ही में राज्यसभा चुनाव के दौरान राजा भैया को लोकसभा चुनाव में कौशांबी सीट पर दावेदारी करने का अवसर देने की बात कहकर भाजपा मुकर गई। राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल भाजपा के दबाव में चुनाव मैदान में भी नहीं उतर पाई।
अगर कुल मिलाकर देखा जाए तो जनपद में जितने भी राजपूत नेता हैं सब के सब हसीए पर है और मजबूर हैं।
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