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वाराणसी:  माय टेबल नाइट क्लब बार रेस्टोरेंट  ट्रांसपोर्टर की रहस्यमयी मौत — आबकारी अफसरों के अवैध शराब के खेल ने ली जान!


5वीं मंजिल से गिरकर मौत, परिजनों का आरोप – बाउंसरों ने पीटकर फेंका नीचे | रेस्टोरेंट में देर रात तक शराब परोसने में आबकारी अफसरों की मिलीभगत उजागर

By VNS Bureau | Updated: 04 Nov 2025 | वाराणसी न्यूज़


वाराणसी।
शहर के व्यस्त मलदहिया इलाके स्थित माय टेबल रेस्टोरेंट रविवार देर रात हादसे के बाद हत्या के आरोपों में घिर गया है। ट्रांसपोर्टर सूरज की 5वीं मंजिल से गिरकर मौत हो गई, लेकिन परिवार ने कहा — यह हादसा नहीं, रेस्टोरेंट के बाउंसरों द्वारा की गई हत्या है।

सूरज के भाई ने बताया कि

“खाने को लेकर विवाद हुआ, बाउंसरों ने सूरज को पीटा और फिर ऊपर से नीचे फेंक दिया। बाद में हादसे की कहानी गढ़ दी।”

मरने से पहले सूरज ने दीवार पर अपने खून से ‘B-2’ लिखा था, जिसे पुलिस दो बाउंसरों से जोड़ रही है।


💸 — अवैध शराब का खेल उजागर

घटना ने वाराणसी की अवैध शराबखोरी और प्रशासनिक मिलीभगत को बेनकाब कर दिया है। सूत्रों का दावा है कि माय टेबल रेस्टोरेंट में रात 12 बजे के बाद भी शराब परोसी जा रही थी, जबकि यह कानूनन वर्जित है। क्षेत्रीय आबकारी निरीक्षक अमित श्रीवास्तव की मिली भगत से ऐसी गतिविधियां लगातार चल रही हैं

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इस पूरे खेल में जिला आबकारी अधिकारी और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर प्रदीप दुबे की ‘धनिया’ (कमीशन) खुलकर उड़ रही है।

“रात के बाद शराब लेने वालों को दोगुने दाम देने पड़ते हैं। हर रात करीब 1 करोड़ रुपये की अवैध बिक्री होती है, जिसमें मोटा हिस्सा आबकारी अफसरों तक पहुंचता है।”
— सूत्र, वाराणसी आबकारी विभाग


⚠️ ‘शटर के नीचे’ शराब बिक्री — नियमों की धज्जियां

शहर में रात 10 बजे के बाद शटर आधा गिराकर शराब बेचने का चलन अब आम हो चुका है।
रेस्टोरेंट और बार में रातभर पार्टी, नाच-गाना और शराब का दौर चलता है, जबकि आबकारी विभाग “धनिया की खुशबू” में सब कुछ अनदेखा कर देता है।


💥 थाने पर हंगामा, SIT जांच की मांग

घटना के बाद परिजनों ने थाने पर पहुंचकर जबरदस्त हंगामा किया और कहा —

“आबकारी अफसरों के संरक्षण में ही ये बार रातभर खुलते हैं। सूरज की हत्या उसी व्यवस्था का नतीजा है।”

स्थानीय नागरिकों ने SIT जांच की मांग करते हुए कहा कि

“अगर आबकारी अधिकारियों की जेबें न भरी जा रही होतीं, तो रेस्टोरेंट रात में खुला ही नहीं रहता।”


🔎 अब जनता पूछ रही है — जिम्मेदारी तय कौन करेगा?

  1. माय टेबल रेस्टोरेंट रात 10 बजे के बाद खुला कैसे था?
  2. आबकारी अधिकारी प्रदीप दुबे और उनकी टीम ने कार्रवाई क्यों नहीं की?
  3. क्या आबकारी विभाग की जेबें भरने के लिए ही कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं?
  4. क्या “B-2” का अर्थ दो बाउंसर नहीं बल्कि “ब्रांड-2” अवैध शराब का कोड तो नहीं?

🧾 निष्कर्ष:

यह सिर्फ एक रेस्टोरेंट हादसा नहीं, बल्कि वाराणसी के आबकारी विभाग की ‘के नियमों की धज्जियां उड़ती व्यवस्था’ का नमूना है।
जब तक अधिकारी और माफिया की इस मिलीभगत पर कार्रवाई नहीं होगी, बनारस की रातें यूं ही शराब, गुंडागर्दी और मौत में डूबती रहेंगी।


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