
लखनऊ। बिना किसी चार्ज के बांदा में तैनात आबकारी निरीक्षक आलोक कुमार कनौजिया को सिस्टम ने तड़पा तडपा कर मारा। यह सब कुछ कमिश्नर आदर्श सिंह के इशारे पर हुआ। बताया जा रहा है कि इंस्पेक्टर की फील्ड पोस्टिंग में पांच लाख रुपए तक की वसूली की जाती है। आलोक कुमार कनौजिया यह धनराशि देने में असमर्थ थे इसलिए सभी आरोपों से मुक्त होकर बहाल होने के बाद भी उनकी फील्ड पोस्टिंग नहीं की गई जिससे वह बेहद ही तनाव और अवसाद में थे। जानकारी यह मिली है कि पिछले ट्रांसफर सीजन में मानव संपदा पोर्टल के जरिए उनकी फील्ड में तैनाती की गई थी लेकिन चर्चा है कि कमिश्नर ने मानव संपदा पोर्टल से उनकी तैनाती को कथित रूप से डिलीट करव दिया इसके बाद वह गहरे अवसाद में चले गए। यह भी कहा जा रहा है कि उस समय वे ज्यादा निराश हो गए जब प्रकरण प्रमुख सचिव के संज्ञान में होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बीच कमिश्नर आदर्श सिंह के लिए वसूली करने वाले गैंग के सरगना मुबारक अली और 32 वर्षों से कार्मिक में तैनात राज कुमार यादव , 15 वर्षों से तैनात प्रसेनरॉय शैलेंद्र तिवारी लगातार आलोक कुमार कनौजिया को परेशान करते रहे ऐसी चर्चा है। वसूली गैंग के बिना आबकारी आयुक्त से कोई मुलाकात भी नहीं कर सकता। दूसरे शब्दों में कहें तो पत्ता भी नहीं हिलता है। सहायक आबकारी आयुक्त मुबारक अली आबकारी निरीक्षक प्रसेनरॉय तथा आबकारी निरीक्षक राजकुमार यादव की वसूली और प्रताड़ना से त्रस्त होकर कई उप निरीक्षक और निरीक्षक सेवानिवृत्ति ले चुके और कई अभी भी इसी तरह के प्रकरण कमिश्नर स्तर से लंबित है। जिनकी छवि बेदाग है और जो काबिल अधिकारी हैं उनको फील्ड में पोस्टिंग नहीं मिलती क्योंकि वह कमिश्नर और उनके गुरुओं को मुंह मांगी रकम कथित रूप से नहीं दे पाते। यह प्रकरण इसलिए भी गंभीर है कि यदि आलोक कुमार कनौजिया की पोस्टिंग मानव संपदा पोर्टल के जरिए हुई थी तो उसे डिलीट कैसे कराया गया और इस साजिश में कौन-कौन शामिल था इसकी जांच होनी चाहिए। जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि आबकारी निरीक्षक राजकुमार ने अपना सेवा काल कार्मिक में 32 साल कैसे गुजार लिया । यह भी जांच का विषय है कि विभागीय मंत्री के द्वारा सहायक आबकारी आयुक्त मुबारक अली के दूरस्थ स्थानांतरण के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया और बिना किसी चार्ज के मुबारक अली कमिश्नर के साथ कैसे घूमते रहते हैं। यह भी जांच का विषय है कि आबकारी निरीक्षक प्रसेनरॉय अंगद के पांव की तरह 15 वर्षों से कैसे जमा हुआ है क्या इसकी योग्यता वसूली टारगेट को पूरा करने में दक्षता है। फिलहाल आलोक कुमार कनौजिया प्रकरण में आबकारी आयुक्त और उनके लुटेरे शागिर्द के अलावा प्रमुख सचिव वीना कुमारी मीना से भी जवाब तलब किया जाना चाहिए क्योंकि पोर्टल से ट्रांसफर हुए प्रकरण में छेड़छाड़ कैसे हुई।
यह बेहद गंभीर मामला है
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