अवधभूमि

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आबकारी कमिश्नर का वसूली एजेंट:

32 वर्षों से नही हुआ तबादला:

सर्विस बुक से एंट्री गायब कर करता है लाखों की वसूली:

प्रयागराज। सिपाही से कार्मिक में अपनी सेवा की शुरुआत करने वाला फ्रॉड और मुख्यालय में कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका से एंट्री गायब कर ब्लैकमेल करते हुए लाखों की वसूली करने वाला राजकुमारी यादव ट्रांसफर पोस्टिंग की पॉलिसी पर भारी पड़ता रहा है। राजकुमार यादव ने कार्मिक में ही अपनी सेवा की शुरुआत एक सिपाही के रूप में की बाद में बाबू बना और यहां भी एक शासनादेश को तब तक दबा कर रखा जब तक की यह स्वयं डीपीसी के लिए 5 वर्ष का प्रोबेशन पीरियड पूरा नहीं कर लिया इसके चक्कर में कई लोगों की प्रोन्नति प्रभावित हो गई।

जब रंगे हाथ फाइल चोरी करते हुए पकड़ा गया था राजकुमार यादव:

इसके बारे में एक बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी मिली है कि जब मुख्यालय में भघेलूराम शास्त्री एडिशनल कमिश्नर हुआ करते थे तो एक सर्विस बुक से एंट्री संबंधित दस्तावेज लेकर यह अपने घर जा रहा था लेकिन तभी कमिश्नर के ड्राइवर की नजर उस पर पड़ गई और उसने फाइल को कमिश्नर साहब के हवाले किया पूरी बात बताई इसके बाद राजकुमार यादव को तत्कालीन कमिश्नर भागेलु राम शास्त्री सस्पेंड करने जा रहे थे लेकिन इसके पिता रामराज यादव जो कि उस समय आबकारी विभाग में ही  प्रशासनिक अधिकारी थे तथा इसके चाचा खेमराज यादव जो कमिश्नर के स्टेनो हुआ करते थे उनके हाथ पर जोड़ने और मिन्नत करने पर किसी तरह छोड़ दिया था लेकिन राजकुमार यादव ने  मुख्यालय में सेवा पुस्तिका से एंट्री गायब करने का अपना काम नहीं छोड़ा। जब भी विभाग में डीपीसी का समय  होता है तो यह इंस्पेक्टर सहायक आबकारी आयुक्त डिप्टी या जॉइंट तक को ब्लैकमेल करके लाखों रुपए की वसूली करता है।

फील्ड की पोस्टिंग फिर भी वसूली के लिए मुख्यालय में तैनाती:

बड़ी मजे की बात यह है कि सिपाही के रूप में लगभग 8 साल और लिपिक के रूप में 24 वर्ष तक पर्सनल में ही तैनात रहने वाला राजकुमार यादव जब निरीक्षक के रूप में प्रोन्नत हुआ तब भी उसे मुख्यालय के कार्मिक विभाग में ही रखा गया है। कमिश्नर राजकुमार यादव की वसूली से बेहद प्रभावित रहते हैं और उनकी कृपा से ही दोबारा निरीक्षक के रूप में प्रोन्नत होकर इस राजकुमार यादव को मुख्यालय में पर्सनल में ही तैनाती दे दी गई है। ट्रांसफर पोस्टिंग के सीजन में और डीपीसी के समय बेधड़क और जमकर वसूली करने के लिए यह कमिश्नर की आंखों का तारा बना हुआ है। सबसे हैरानी की बात यह है कि राजकुमार यादव निरीक्षक के रूप में प्रोन्नत हुआ है और यह पद फील्ड में है तब भी इसकी तैनाती पर्सनल में ही कमिश्नर ने क्यों कर रखी है आसानी से समझा जा सकता है। आबकारी विभाग का शासनादेश कहता है कि मुख्यालय में केवल वही तैनात रह सकता है जिसका पद फील्ड में नहीं है बावजूद इसके राजकुमार यादव, और लगभग 10 वर्षों से प्रसेन रॉय  वसूली के लिए कार्मिक में ही लगातार तैनात किए गए हैं।

एक डिप्टी से कमिश्नर और प्रमुख सचिव के नाम पर मांगे पैसे, कॉल रिकॉर्डिंग की भी चर्चा

बताया जा रहा है कि अभी हाल ही में राजकुमार यादव ने एक डिप्टी  से अच्छी पोस्टिंग के लिए कमिश्नर और प्रमुख सचिव का रेट बता कर लाखों रुपए की डिमांड की। कहा तो यह भी जा रहा है कि फोन रिकॉर्डिंग करके रखी गई है।

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