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आबकारी विभाग में नई पॉलिसी पर उठे सवाल: सांख्यिकी निदेशक की अनुपस्थिति में जारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संशय:


लखनऊ।
बिना स्थायी सांख्यिकी निदेशक की नियुक्ति किए फिर से आबकारी पॉलिसी लाने की तैयारी ने विभागीय पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, वर्तमान में विभाग में इस पद पर किसी की औपचारिक तैनाती नहीं है, जबकि सांख्यिकी से जुड़े सभी महत्वपूर्ण आंकड़े डिप्टी एक्साइज कमिश्नर स्तर के अधिकारी द्वारा तैयार और जारी किए जा रहे हैं।

विभाग के सूत्रों का कहना है कि यह अधिकारी बिना औपचारिक आदेश के सांख्यिकी निदेशक का कार्यभार संभाले हुए हैं, और विभाग की नई पॉलिसी में इन्हीं के आंकड़ों को आधार बनाया जा रहा है। विशेषज्ञों का मत है कि यदि नियुक्ति प्रक्रिया और डेटा सत्यापन में पारदर्शिता नहीं बरती गई, तो पूरी नीति की वैधता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।

शीर्ष अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल

प्रमुख सचिव (आबकारी) और आयुक्त द्वारा इन आंकड़ों को सत्यापित करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं। विधि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोई अधिकारी बिना विधिक अधिकार के जारी दस्तावेज़ों या आंकड़ों को आधिकारिक स्वीकृति देता है, तो यह सेवा नियमों और आबकारी अधिनियम के तहत प्रशासनिक लापरवाही या पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आ सकता है।

कानूनी विशेषज्ञों का मत

कानूनी जानकारों का कहना है कि ऐसे मामलों में आबकारी अधिनियम की धारा 62, 63 और 64 (जहाँ शासनादेशों की अवहेलना, कर्तव्य में लापरवाही और पद के दुरुपयोग का उल्लेख है) के तहत कार्रवाई संभव है। वहीं, यदि किसी अधिकारी द्वारा निजी लाभ या पक्षपात का आरोप साबित होता है, तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत भी जांच की मांग उठ सकती है।

जांच की मांग तेज

विभागीय सूत्रों के अनुसार, नीति निर्माण प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सांख्यिकी निदेशक पद की नियमित नियुक्ति और डेटा ऑडिट की मांग तेज हो गई है। कई कर्मचारियों ने यह भी सुझाव दिया है कि यदि आवश्यक हो तो आयकर या सतर्कता विभाग से भी जांच कराई जानी चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की शंका को समाप्त किया जा सके।


📰 निष्कर्ष:
आबकारी विभाग की नई पॉलिसी से पहले यदि नियुक्ति और डेटा सत्यापन की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं होती, तो यह विवाद का कारण बन सकती है। पारदर्शिता, जवाबदेही और वैधानिक प्रक्रिया का पालन ही विभाग की विश्वसनीयता बनाए रख सकता है।


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