प्रयागराज। जिस तरह नाटकीय ढंग से पुलिस कस्टडी में अतीक और अशरफ पर गोलियां बरसा कर ढेर कर दिया गया उसके बाद बेखौफ अंदाज में शूटरों ने जैसे सरेंडर किया इससे कई सवाल खड़े हो गए। पहला सवाल यह कि जब इन शूटरों और अशरफ की कोई निजी दुश्मनी नहीं थी तो उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया। धीरे-धीरे इस रहस्य से पर्दा उठ रहा है।
आम आवाम के बीच चर्चा तेज हो गई है कि अतीक प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ में कुछ बड़े नामों का खुलासा करने वाला था। अतीक के खुलासे से उत्तर प्रदेश और देश की सियासत में तूफान आ सकता था। मामला 5000 करोड़ रुपए की अवैध संपत्ति से जुड़ा हुआ था। कहा जा रहा है कि देश प्रदेश के कुछ बड़े नेता जो सत्तारूढ़ दल से जुड़े हुए हैं उन्होंने अतीक के काले साम्राज्य में आकूत निवेश किया हुआ था। अतीक उन सभी नामों का ईडी के सामने खुलासा करने का मन बना चुका था। इस खुलासे से जहां नेताओं का पॉलिटिकल मर्डर होना तय था वही इस खुलासे से सरकार को भी भारी मुश्किलों का सामना हो सकता था।
माफिया से रिश्ते की आंच कुछ मंत्रियों नेताओं और अफसरों तक पहुंचने की आशंका थी
अतीक कई मंत्रियों अधिकारियों नेताओं न्यायाधीशों और कारोबारियों के काले कारनामे का राजदार था। इसी वजह से कस्टडी रिमांड पूरी होने से पहले ही अधिक और अशरफ को भाड़े के सूत्रों की मदद से मौत की नींद सुला दिया गया।
जब प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने अतीक और अशरफ को रिमांड पर लेने के लिए अर्जी लगाई तो प्रदेश के कुछ प्रभावशाली लोगों के दिल की धड़कनें बढ़ गई।
अतीक अहमद ने 45 नेताओं के नाम प्रवर्तन निदेशालय को बताए थे
अतीक अहमद ने अवैध संपत्तियों का ब्यौरा देते हुए सत्तारूढ़ दल के कुछ मंत्रियों समेत 45 ज्यादा लोगों के नाम प्रवर्तन निदेशालय के सामने जाहिर किए थे। यह जानकारी प्रवर्तन निदेशालय के कुछ अधिकारियों के माध्यम से प्रभावित नेताओं को पता चल गई थी और उसी दिन अतीक को रास्ते से हटाने की योजना तैयार कर ली गई।
अतीक अहमद ने रियल स्टेट से जुड़े कुछ बड़े कारोबारियों और प्रदेश सरकार के कुछ रसूखदार मंत्रियों के नाम प्रवर्तन निदेशालय को बताए थे।
विनायक ग्रुप के मालिक संजीव अग्रवाल का नाम लेना अतीक को भारी पड़ा
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जब प्रवर्तन निदेशालय के सामने अतीक अहमद ने इकबालिया बयान में रियल स्टेट के बड़े कारोबारी विनायक ग्रुप के संजीव अग्रवाल का नाम लिया उसी समय उसने अपनी जान जोखिम में डाल दी। बताया जा रहा है कि उसी समय से आतिफ को रास्ते से हटाने की तैयारियां शुरू हो गई। अतीक अहमद ने इसके अलावा जिन नामी बिल्डरों का नाम लिया उसमें मोहम्मद मुस्लिम खालिद जफर कार शो रूम संचालक अमित भार्गव बिल्डर अमित गोयल जैसे नाम शामिल थे। अतीक अहमद की निशानदेही पर प्रवर्तन निदेशालय ने सभी के ठिकाने पर छापेमारी की और लगभग 5000 करोड रुपए की संपत्ति का दस्तावेज जप्त किया। इस खुलासे के बाद अतीक अहमद को रास्ते पर हटाने के लिए सारे माफिया एकजुट हो गए। सत्तारूढ़ दल के लोगों को जहां अतीक से रिश्ते के चलते बदनामी और राजनैतिक खामियाजा भुगतने की आशंका थी वहीं तमाम बिल्डरों को भी जेल जाने की आशंका से दहशत थी। सरकार से जुड़े रसूखदार लोगों और सिंडिकेट ने मिलकर अतीक को रास्ते से हटा दिया और अब यह लोग कभी नहीं जान पाएंगे कि अतीक के काले कारोबार में किसकी किसकी हिस्सेदारी थी।
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