नई दिल्ली। रामायण में वर्णित रामसेतु को लेकर केंद्र की मोदी सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। सरकार ने गुरुवार को संसद में बताया कि भारत और श्रीलंका के बीच जहां पौराणिक रामसेतु के अस्तित्व के बात की जाती है वहां सैटेलाइट तस्वीरों में द्वीप और चूना पत्थर ही दिखाई दे रहे हैं। इन्हे राम सेतु के अवशेष का ‘सटीक प्रमाण’ नहीं कहा जा सकता है।
एक सवाल के जवाब में अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को बताया कि “हाँ, कुछ हद तक, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम टुकड़ों और द्वीपों, कुछ प्रकार के चूना पत्थर के शॉल्स की खोज करने में सक्षम हुए हैं, जिन्हें निश्चित रूप से अवशेष या सेतु के हिस्से नहीं कहे जा सकते हैं। ,”
मंत्री जितेंद्र सिंह ने भाजपा सांसद कार्तिकेय शर्मा के एक मौखिक सवाल का जवाब दे रहे थे। कार्तिकेय शर्मा यह जानना चाहते थे कि क्या सरकार भारत राम सेतु के अतीत का वैज्ञानिक मूल्यांकन करने के लिए कोई प्रयास कर रही है?
संसद में सरकार के इस जवाब के बाद पवन खेड़ा ने कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया कि सभी अंध भक्त ध्यान से सुने सरकार की दृष्टि में रामसेतु नाम का कोई भी ढांचा अस्तित्व में नहीं है। सोशल मीडिया पर भी सरकार की खिंचाई हो रही है। कई यूजर्स ने लिखा कि केवल वोट के लिए रामसेतु की जरूरत पड़ी थी तब यह अस्तित्व में था।
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