
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में मामला लेकिन फिर भी न्याय नहीं हुआ
लखनऊ। एनडीए में इस समय घमासान मच गया है। पहले दलितों पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने वाली अनुप्रिया पटेल ने 69000 शिक्षक भर्ती के मामले में योगी सरकार को जिम्मेदार बताया है। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार ने कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की जबकि प्रधानमंत्री के संज्ञान में यह मामला है फिर भी न्याय नहीं हुआ।
अनुप्रिया पटेल के इस हमले से लखनऊ से दिल्ली तक बेचैनी देखी जा रही है। उत्तर प्रदेश में बेचैनी इसलिए अधिक है कि कुछ ही समय में 10 विधानसभाओं में उपचुनाव होने हैं और अगर यह मुद्दा बन गया तो भाजपा के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी दूसरी ओर दलितों पिछड़ों और आदिवासियों के विरोधी के रूप में विपक्ष द्वारा प्रचारित करने के बाद प्रधानमंत्री आज तक सफाई दे रहे हैं ऐसे में अनुप्रिया पटेल के नए आरोप बीजेपी और प्रधानमंत्री की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं।
क्यों सख्त हुआ अनुप्रिया का तेवर:
जानकारों का मानना है कि लोकसभा चुनाव में केवल भाजपा ही नहीं अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल सोने लाल के वोट शेयर में भारी गिरावट देखने को मिली। खुद मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल बड़ी मुश्किल से जीत पाई ऐसे में अनुप्रिया पटेल को अंदाजा है कि भारतीय जनता पार्टी आने वाले समय में उनकी पार्टी की उपेक्षा कर सकती है इसीलिए गठबंधन में साथ रहकर भाजपा और एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है ताकि वह अपने समर्थकों को यह बता सके कि वाह bjp की अंधभक्त समर्थक नहीं है। देखना है कि अनुप्रिया पटेल की इस रणनीति का बीजेपी कब और कैसा जवाब देती है।
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