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कोरोना में भूस रेड्डी  की भर गई तिजोरी:

सेनेटाइजर उत्पादन के नाम पर लाखों कुंटल शीरा पी गई शराब कंपनिया:

लखनऊ। कोरोना काल में जहां पूरे देश में तबाही का मंजर था वही उत्तर प्रदेश के आपकारी विभाग में इस आपदा को अवसर में तब्दील कर दिया गया। तत्कालीन प्रमुख सचिव और वर्तमान में रेरा के अध्यक्ष संजय भूस रेडी की तिजोरी घर गई। बाबा किया जा रहा है कि  संजयभूस रेड्डी ने  सेनेटाइजर उत्पादन के नाम पर लाखों कुंटल रिजर्व शीरा शराब कंपनियों को आवंटित किया  बताया गया कि शराब कंपनियों ने शीरे से ईएनए का उत्पादन किया और उससे देसी विदेशी शराब का निर्माण कर रुप से बिक्री कर हजारों करोड़ रुपए की कमाई की। इस समय का मोटा हिस्सा प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी तथा पी गुरु प्रसाद  को भी दिए जाने की चर्चा है। मिली जानकारी के मुताबिक  सेनिटाइजर बनाने के लिए निजी शीरे का इस्तेमाल किया गया। दावा किया जा रहा है कि इस खेल में लगभग 20 लाख कुंटल शीरे का गोलमाल किया गया। कहां जा रहा है चार करोड़ लीटर ईएनए काम उत्पादन हुआ जिसमें से तकरीबन 300 करोड लीटर ईएनए की आवाज शराब बनाकर बेची गई। कुल मिलाकर कहा जा रहा है जिस दौरान 12000 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व नुकसान हुआ। इस खेल में तत्कालीन प्रमुख सचिव तत्कालीन कमिश्नर और तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर जो वर्तमान मे विशेष सचिव आबकारी दिव्य प्रकाश गिरी तथा पूर्व जॉइंट एक्साइज कमिश्नर लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव की भूमिका सवालों के घेरे में है।

आबकारी मुख्यालय में इस बात का कोई रिकार्ड नहीं है कि कोरोना काल यानी 2020 में सेनिटाइजर बनाने के लिए ईएनए उत्पादन के लिए कुल कितना कुंतल शीरा डिस्टलरी को दिया और कितना ईएनए प्राप्त किया। प्राप्त ईएनए  से सेनिटाइजर बनाने के लिए किन कंपनियों को कुल कितना सेनिटाइजर दिया गया। दिए गए ईएनए के सापेक्ष कुल कितना सेनिटाइजर प्राप्त किया एवं प्राप्त सेनिटाइजर को कितनी मात्रा में किस संस्थान को आपूर्ति की गई । इसका कोई हिसाब किताब आबकारी महकमे में नही है । बताया जा रहा है कि लाखों कुंतल शीरा या तो अवैध रूप से तस्करी के जरिए बाहर भेजा गया या फिर अवैध रूप से शराब बनाकर बिना ड्यूटी चुकाए बेचा गया । सच्चाई तभी सामने आएगी जब इस मामले की एसआईटी या सीबीआई से जाँच हो।

राजस्व और शराब उत्पादन आंकड़ो में गई जमकर हेराफेरी:

2020 में जब कोविड पीक पर था । डिस्टिलरी में शराब उत्पादन महीनों ठप था और रिजर्व शीरे का इस्तेमाल सेनिटाइजर बनाने के लिए ईएनए बनाने में खर्च हुआ तथा दुकान बंद थी तो शराब उत्पाद और खपत में कमी आई ऐसे में रेवन्यू के आँकड़े बढाकर  कैसे जारी किया गया। और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है कि फ्री में सेनिटाइजर बांटने के लिए संसाधन संग गुड्डी ने कहा से जुटाए। कुल मिलाकर   उत्तरप्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा शराब घोटाला है।

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