प्रतापगढ़। जनपद के विभिन्न इलाकों में खंड विकास अधिकारी के रूप में तैनाती के समय वर्तमान जिला विकास अधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा ने मनरेगा जैसी योजना में जमकर लूटपाट की। बिना काम के ही करोड़ों रुपए का भुगतान किया। लेकिन शासन स्तर पर अपनी पहुंच के चलते किसी बड़ी कार्रवाई से बचते रहे। जिला विकास अधिकारी की लूट का भांडा उस समय फूटा जब मुख्य विकास अधिकारी ईश्वर प्रिया के निर्देश पर डीसी मनरेगा इंद्रमणि त्रिपाठी ने एक शिकायत की जांच की और पाया कि अपूर्ण पंचायत भवन की भौतिक जांच में पाया गया कि बिना निर्माण कार्य कराए मनरेगा के तहत कराए जाने वाले सभी भुगतान फर्जी अभिलेख बनाकर किए गए। यह भुगतान तत्कालीन खंड विकास अधिकारी और वर्तमान जिला विकास अधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा ने तकनीकी अधिकारी के साथ मिलीभगत कर फर्जी अभिलेख तैयार कर लगभग 1300000 रुपए का भुगतान अपनी चहेती फर्म को कर दिया।
इस संबंध में डीसी मनरेगा इंद्रमणि त्रिपाठी ने पंचायत सचिव तकनीकी अधिकारी और तत्कालीन खंड विकास अधिकारी और वर्तमान जिला विकास अधिकारी को जिम्मेदार मानते हुए रिकवरी की नोटिस जारी की है।
जिला विकास अधिकारी पर लगे प्रमुख आरोप:
1 – आसपुर देवसरा में खंड विकास अधिकारी के रूप में कार्यरत रहते हुए ग्राम पंचायत डाही के मनरेगा संबंधी मस्टररोल बुक में हेराफेरी कर इसी एमबी को ग्राम पंचायत अकारी पुर के मनरेगा प्रोजेक्ट पर भुगतान कर दिया गया तथा दोनों ग्राम पंचायतों से धन निकासी की गई। आरोप है कि तत्कालीन खंड विकास अधिकारी वर्तमान जिला विकास अधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा तकनीकी सहायक और पंचायत सेक्रेटरी ने भुगतान के लिए फर्जी अभिलेख तैयार कीजिए।
2- सेडवा चंद्रिका ब्लॉक में खंड विकास अधिकारी के रूप में कार्यरत रहते हुए बिना क्षेत्र पंचायत के अनुमोदन के मनरेगा के कई फर्जी प्रोजेक्ट पर करोड़ों रूपए का भुगतान कर दिया।
फिलहाल अपने गबन घोटालों के चलते जिला विकास अधिकारी ओम प्रकाश मिश्रा इस समय चर्चा में है
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