नई दिल्ली। कांग्रेस में झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव के बीच अचानक कर्नाटक और तेलंगाना में जातिगत जनगणना की शुरुआत करके एक मास्टर स्ट्रोक खेला है जिससे भाजपा खेमें में बेचैनी दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि दोनों ही राज्यों में सांप्रदायिकता के सहारे चुनाव जीतने का मंसूबा पालने वाली भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस ने बहुत बड़ा संदेश दे दिया है। इससे भाजपा-आरएसएस की मुश्किलें बढ़ सकती है। महाराष्ट्र और झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है। कर्नाटक के बाद तेलंगाना जाति जनगणना करने वाला दूसरा कांग्रेस शासित राज्य बन जाएगा।
जाहिर तौर पर, जाति जनगणना के लिए कांग्रेस के अभियान ने भाजपा को हिलाकर रख दिया है। भले ही 1991 में मंडल रिपोर्ट स्वीकार किए जाने के कुछ ही समय बाद भाजपा को सबसे ज्यादा फायदा हुआ और आज उसे राष्ट्रीय स्तर पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का 44 फीसदी वोट मिलता है।
तीन दशक बाद, कांग्रेस ने भाजपा के सामने जाति जनगणना का डर खड़ा कर दिया है। भाजपा में अभी सारे ओबीसी नेता हिंदू नेता के रूप में पहचाने जाते हैं जो भाजपा चाहती भी है। लेकिन जाति जनगणना होने पर हर जाति की आबादी उसके सदस्यों की सामाजिक-आर्थिक प्रोफाइल भी प्रदान करेगी।
More Stories
नजरिया: बांग्लादेश पर प्रधानमंत्री की खामोशी:
अदानी के चलते डूबे कई बैंक:
शिवसेना ने चुनाव नतीजे मानने से किया इनकार: