लखनऊ। आबकारी विभाग के डिप्टी लाइसेंस आलोक कुमार का एक और कारनामा सामने आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि बिना किसी आदेश के मुख्यालय से डिप्टी लाइसेंस कार्यालय के सभी पत्रावली और फर्नीचर लखनऊ स्थित आबकारी आयुक्त के कैंप कार्यालय में शिफ्ट कर दिया गया है और यह स्वयं आबकारी मुख्यालय में बैठने के बजाय लखनऊ में बैठ रहे हैं। इस संबंध में जब जानकारी की गई तो पता चला की डिप्टी लाइसेंस कार्यालय को बिना किसी आदेश के लखनऊ कैंप कार्यालय में मनमाने ढंग से शिफ्ट कर दिया गया।
मुख्यमंत्री के आदेश पर फिरा पानी:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आबकारी विभाग के बार रेस्टोरेंट के संबंध में स्पष्ट आदेश दिया था कि लाइसेंस निर्गत करने की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए जिससे किसी भी तरह के माफिया राज को पनपना से रोका जा सके लेकिन तत्कालीन आप पर आबकारी आयुक्त लाइसेंस और बार माफियाओं के नजदीकी हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने बर रेस्टोरेंट चलाने वाले माफियाओं की मोनोपोली बनाए रखने के लिए बार लाइसेंस की प्रक्रिया को बेहद जटिल बना दिया। इस प्रक्रिया में अनावश्यक रूप से विकास प्राधिकरण की अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूरी कर दिया जिससे विकास प्राधिकरण न केवल अवैध रूप से उगाही कर रहे हैं बल्कि बार रेस्टोरेंट खोलने की आबकारी नीति को बेईमानी बना दिया। लखनऊ बनारस मेरठ आगरा प्रयागराज गाजियाबाद जैसे महानगरों में विकास प्राधिकरण से आसानी से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलना मुश्किल हो गया है। बर रेस्टोरेंट खोलने के इच्छुक व्यवसाईयों का कहना है कि प्रक्रिया में विकास प्राधिकरण की वजह से जटिलता आ गई है और मुख्यमंत्री जी की लाइसेंस को आसान बनाने की जो उद्देश्य था वह धाराशयी होता दिखाई दे रहा है।
बार लाइसेंस प्रक्रिया में विकास प्राधिकरण का अवैध हस्तक्षेप:
आबकारी विभाग के जानकारी अधिकारियों का कहना है कि बार लाइसेंस प्रक्रिया को जटिल बनाने के लिए ही विकास प्राधिकरण को इस लाइसेंस प्रक्रिया में शामिल किया गया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि लाइसेंस विकास प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आता ही नहीं है तो फिर उसे इस प्रक्रिया में शामिल क्यों किया गया। दूसरा सवाल यह है कि अगर होटल के पंजीकरण में विकास प्राधिकरण को कोई समस्या नहीं है तो होटल के अंदर चलने वाले बार लाइसेंस से उसे कैसे समस्या हो सकती है। कुल मिलाकर यह खेल हरिश्चंद्र श्रीवास्तव और आलोक कुमार मिलकर कर रहे हैं जिसकी वजह से बर रेस्टोरेंट खोलने की प्रक्रिया न केवल सुस्त पड़ी है बल्कि मुख्यमंत्री के इरादे पर भी पानी फिर गया है
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