
लखनऊ। आबकारी के तकनीकी विभाग में कार्यरत नॉन टेक्निकल और अवैध रूप से नियुक्त अधिकारियों की वसूली से चीनी मिल और डिस्टलरी इंडस्ट्री बुरी तरह प्रभावित है। यही कारण है कि आबकारी विभाग में निवेश बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अब नई जानकारी मिली है कि एथेनॉल उत्पादन की डिस्टिलरी केयाम इंडस्ट्री से भी दबाव बनाकर 15 से 20 लख रुपए तक वसूली की गई। बताया जा रहा है मुख्यमंत्री के उद्घाटन से पहले कि इंडस्ट्री का टेक्निकल सर्वे करने पहुंचे तथाकथित प्राविधिक अधिकारी संदीप मोडवेळ और उनके वसूली एजेंट अनिल यादव ने इंडस्ट्री की फाइल में आपत्ति की धमकी लगाकर वसूली कर ली। यह भी कहां जा रहा है कि तकनीकी विभाग में तैनात किए गए तकनीकी अधिकारी भरत को डिस्टलरी का भौतिक सत्यापन नहीं करने दिया गया। इस बात पर तकनीकी अधिकारी ने हैरानी जताई लेकिन संदीप मोडवेळ ने एक नहीं सुनी। इन आरोपों की पुष्टि के लिए यह जरूरी है कि डिस्टलरी की अवस्थापना संबंधी पत्रावली में संदीप मोडवेळ की आख्या की जांच हो। जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि नॉन टेक्निकल होते हुए संदीप को तकनीकी विभाग का प्राविधिक अधिकारी किसने बनाया। यह भी जांच का विषय है कि नॉन टेक्निकल आबकारी निरीक्षक तकनीकी मामलों में अपनी जांच रिपोर्ट कैसे दे सकता है। यह भी कहां जा रहा है कि पूरे खेल में अवैध रूप से मृतक आश्रित कोटे में तैनात अनिल यादव का भी हाथ है। किसी के माध्यम से संदीप ने वसूली करी थी। फिलहाल यह चर्चा आबकारी विभाग में खुलेआम हो रही है कि अधिकारी मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में भी रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे हैं।
बताया जा रहा है कि प्रकरण की शिकायत मुख्यमंत्री को करने की तैयारी चल रही है।
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