नई दिल्ली। दो बयान चर्चा में है पहला बयान यह की मुंबई की रैली में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर करारा तंज करते हुए कहा था कि राजा की जान इवीएम में है। और साथ में उन्होंने यह भी कहा था कि वह एक अदृश्य शक्ति से मुकाबला कर रहे हैं। के कहने का मतलब शायद यह रहा कि केंद्र के पास प्रवर्तन निदेशालय इनकम टैक्स और सीबीआई जैसी शक्तियां हैं जिनसे उन्हें मुकाबला करना पड़ रहा है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ी चालाकी से इसे मातृ शक्तियों से जोड़ दिया और कहा कि बहन बेटियों और माता जैसी शक्तियों के लिए मैं अपनी जीवन की बाजी लगा दूंगा। उनके बयान के बाद राहुल गांधी को ट्रोल किया जाने लगा है लेकिन इसी बीच कई सवाल भी खड़े होने लगे की क्या प्रधानमंत्री जी सचमुच महिलाओं बालिकाओं के लिए की जान लड़ा देंगे। लोगों की स्मृतियां दिल्ली में इंसाफ के लिए बैठी महिला पहलवान लड़कियों के साथ पुलिस द्वारा जो जोर जबरदस्ती हुई उसकी यादें ताजा हो गई । लड़कियां प्रधानमंत्री को मिलकर अपने साथ जो भी अत्याचार हुआ था उसे बताना चाहती थी लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई बल्कि सरकार समर्थक मीडिया ने महिला पहलवानों के चरित्र पर उंगलियां उठनी शुरू कर दी और अंत में हताश निराश होकर महिलाओं को अपने संघर्ष और प्रदर्शन से पीछे हटना पड़ा था। एक दूसरा सवाल प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से जुड़ा हुआ जिसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय की एक छात्रा को विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार के पास करीब 12:00 बजे रात में जब वह अपने हॉस्टल में जा रही थी तब भारतीय जनता पार्टी आईटी सेल के कार्यकर्ताओं ने जबरन कपड़े उतरवाए और उसके वीडियो भी बनाएं उन लड़कों पर प्राथमिकी तब तक नहीं हुई जब तक यह मामला पूरी तरह मीडिया में सुर्खियों में नहीं चला गया। ऐसे में प्रधानमंत्री द्वारा महिला शक्तियों के लिए जान लड़ा देने की बात करने के बाद तमाम मुद्दे फिर से सर उठने दिख रहे हैं।
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